ज्योतिष में शनि को कर्मफलदाता एवं न्याय का देवता माना जाता है. शनि देव जिनकी कुंडली में अशुभ अवस्था में होते हैं. उन्हें शनि की बुरी नजर का सामना करना पड़ता है. शनि से जुड़े सभी दोषों को दूर करने के लिए देवी कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा एवं उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र में बुध को बुद्धि, तर्क, चतुरता, संवाद और संचार का कारक ग्रह माना जाता है. कुंडली में बुध ग्रह के अशुभ रहने से व्यक्ति को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन परेशानियों से मुक्ति के लिए नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की विशेष रूप से पूजा अर्चना करनी चाहिए. इससे बुध के सभी दोष ख़त्म हो जाते हैं।
यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर हैं तो नवरात्रि में प्रथम दिन यानी प्रतिपदा को मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा करें. पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. मान्यता है की ऐसा करने से कुंडली में सूर्य देव की कमजोर स्थिति मजबूत हो जाती है. इससे सूर्य से जुड़े सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
नवरात्रि घटस्थापना विधि
नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के पात्र खेत की स्वच्छ मिट्टी डालकर उसमें सात प्रकार के अनाज बोएं. अब ईशान कोण में पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी दुर्गा की फोटो की स्थापना करें. तांबे या मिट्टी के कलश में गंगा जल, दूर्वा, सिक्का, सुपारी, अक्षत, डालें. कलश पर मौली बांधें और इसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाकर ऊपर से लाल चुनरी से बंधा नारियल रख दें. अब जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की फोटो के आगे स्थापित कर दें।
शारदीय नवरात्रि में 9 दिन के 9 शुभ रंग
- नवरात्रि प्रथम दिन – सफेद रंग
- दूसरा दिन – लाल रंग
- तीसरा दिन – नारंगी रंग
- चौथा दिन – पीला रंग
- पांचवां दिन – हरा रंग
- छठा दिन – ग्रे रंग
- सातवां दिन – नीला रंग
- आठवां दिन – मोर वाला हरा रंग
- नवां दिन – गुलाबी रंग