ट्रैवल एजैंसी ARYANS Academy के मामले में बड़ा खुलासा, लाइसैंस सस्पैंड और फिर खुद बहाल करके सवालों से घिरे एडीसी

BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA

सरकारी काग़ज़ों में किसी ओर बिल्डिंग का पता देकर आफ़िस को किसी ओर जगह चलाकर प्रशासन को गुमराह करने वाले आर्यन एकेडमी की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। ग़लत पता होने के बाद एडीसी के द्वारा कारवाई करने के बाद खुद बिना जाँच अपनी ही कारवाई को सही ठहराकर ग़ैर ज़िम्मेदाराना तरीक़े से सस्पेंड लाइसेंस को दोबारा बहाल करने वाले एडीसी के खिलाफ भी मोर्चा खुलने लगा है।

विदेश भेजने की आड़ में होने वाली ठगी पर अंकुश लगाने के लिए पंजाब में लागू ट्रैवल प्रोफैशनल रैगुलेशन एक्ट का चालबाज ट्रैवल एजैंटों ने मजाक तो बना ही रखा था, वहीं ऐसे एजैंटों को प्रशासनिक संरक्षण मिलने का मामला गत दिवस उस समय सामने आया जब अति विवादित आर्यन अकैडमी के मामले में शिकायत देने वाले शिव सेना हिन्द के यूथ प्रैजीडैंट ईशांत शर्मा ने डिप्टी कमिश्नर के सामने अपने बयान दर्ज करवाए और एडीसी जनरल अमित सरीन न सिर्फ सवालों के घेरे में आ गए बल्कि उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग गया। शर्मा ने अपील केस को खुद डील करने और राज्य के होम सैक्रेटरी की शक्तियों का दुरुपयोग करने के आरोप में एडीसी अमित सरीन को तत्काल सस्पैंड करने तथा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश के साथ-साथ करप्शन एक्ट की धारा 13 (2) के तहत भी केस दर्ज करने की मांग की है।

वहीं, दूसरी तरफ पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए सदैव सख्त स्टैंड लेने वाले प्रमुख संगठन प्रिंट एंड इलैक्ट्रोनिक मीडिया एसोसिएशन (पेमा) ने भी एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (जनरल) अमित सरीन के खिलाफ कड़ा संज्ञान लिया है। संगठन ने डिप्टी कमिश्नर को राज्य के मुख्यमंत्री के नाम जारी ज्ञापन में एडीसी अमित सरीन को सस्पैंड करके विभागीय कार्रवाई करने की मांग की है। पेमा ने डीसी के समक्ष एडीसी अमित सरीन के उस रवैये पर सख्त ऐतराज जताया जो उन्होंने विधायक शीतल अंगुराल की डीसी आफिस विजिट के दौरान डीसी के सामने कवरेज कर रहे पत्रकारों के प्रति  दिखाया था। एडीसी ने पत्रकारों को गलत ठहराकर सही रिर्पोटिंग करने की ताकीद जारी की थी जबकि यह अधिकार भारतीय मीडिया की सर्वोच्च संस्था प्रैस कांऊसिंल ऑफ इंडिया के पास सुरक्षित है।

 

— बयान में ईशांत शर्मा ने क्या किया खुलासा पढि़ए

बकौल ईशांत, बिना परमिशन गढ़ा फाटक के पास स्थित रजिस्टर्ड आफिस बंद करके गढ़ा रोड पर पिम्स अस्पताल के सामने छोटी बारादरी में अवैध आफिस का संचालन करने वाले आर्यन अकैडमी के मालिक ट्रैवल एजैंट अनिल कुमार शर्मा जिसका लाइसैंस एडीसी अमित सरीन ने पक्ष सुनने के बाद 29.06.2022 को पहले तो सस्पैंड कर दिया और फिर एकाएक उसको सही ठहराकर अगले दिन 01.07.2022 को बिना आफिस आए और संबंधित फाइल पर कोई आर्डर पास किए बिना ही महज एक ई-मेल के जरिए उसे बहाल करने का आर्डर जारी कर दिया था जबकि नियमों के मुताबिक लाइसैंस सस्पैंशन आर्डर के खिलाफ अपील की जानी बनती थी। शर्मा ने बयान में होम सैक्रेटरी आफिस के उस आदेश का भी हवाला दिया है जिसके तहत सस्पैंशन आर्डर को होम सैक्रेटरी आफिस में चेलेंज किया जाना था और परोसनल विभाग ने सभी अफसरों को अपना ही आर्डर रिव्यू करने पर रोक भी लगा रखी है। शर्मा ने अपने बयान में एडीसी की भूमिका पर कुछ सवाल भी उठाए है,
कि अगर एक दिन बाद लाइसैंस को बहाल ही करना था तो उसे सस्पैंड क्यों किया गया ? इसी तरह होम सैक्रेटरी की अपील सुनने की शक्ति का भी खुद ही उपयोग करने पर सवाल उठाया है। इसी तरह लाइसैंस बहाल किए जाने वाले दिन 01.07.2022 एडीसी के आफिस न आकर विवादित आर्यन अकैडमी के मालिक अनिल कुमार शर्मा और उसकी पत्नी कीर्ति के साथ स्थानीय रैडक्रास भवन के पास गुप्त मीटिंग करने पर भी सवाल उठाया है। शर्मा ने इस आश्य को भी ध्यानार्थ किया है कि अगर एडीसी ने 01.07.2022 को लाइसैंस ई-मेल के जरिए बहाल कर दिया था तो उसकी कापी रिकार्ड फाइल में शिकायत पेश होने के बाद ही क्यों नत्थी की गई जिसको क्लर्क ने विधायक शीतल अंगुराल के समक्ष स्वीकार भी किया है। और तो और यदि लाइसैंस 01.07.2022 को बहाल कर दिया गया था तो संबंधित शाखा की ओर से 10.07.2022 को डीसी आफिस की आफिशियल बैवसाइट पर अपलोड की गई ट्रैवल एजैंटों की सूची में आर्यन अकैडमी का लाइसैंस सस्पैंड लिखकर क्यों अपलोड किया गया था ? शर्मा ने कहा कि यह मामला कोई मामूली नहीं है क्योंकि उक्त ट्रैवल एजैंट अनिल कुमार शर्मा काफी शातिर किस्म का व्यक्ति है। अगर एडीसी ने सख्ती दिखाकर उसका लाइसैंस सस्पैंड किया था तो उसने एडीसी को भी 24 घंटे में अपने प्रभाव में ले लिया जिसकी जांच होनी बहुत जरूरी है क्योंकि इससे ट्रेड के अन्य लोगों में गलत संदेश गया है। इससे न केवल जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा है बल्कि आम आदमी पार्टी की साख पर भी सवाल खड़े हो गए हैं कि उनके अफसर किस कदर मनमानियां करने पर उतर आए हैं।