BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA
मुनाफे के लालच में “ऑटिस्म” बीमारी से पीड़ित एक छात्र की जिंदगी बर्बाद करने वाले छोटी बारादरी जालंधर स्थित कैम्ब्रिज को-एड स्कूल प्रबंधन के स्वंभू प्रतिनिधि को बुधवार डिस्ट्रिक्ट रैगुलैटरी बॉडी फॉर अनएडिड के सामने कोई जबाव नहीं आया।
हुआ यह भी कि अथॉरिटी सदस्यों ने जैसे ही प्रबंधन के स्वयं-भू प्रतिनिधि के तौर पर बिना अथॉरिटी लैटर पेश हुए व्यक्ति को रिकार्ड बाबत सवाल किए, तो वो बीमारी का बहाना बनाकर एकाएक सुनवाई छोड़कर भाग खड़े हुए। हालांकि वो देखने में एकदम स्वस्थ दिख रहा था क्योंकि वो ठीक से चलकर आया और ठीक से ही चलकर गया।
सुनवाई के दौरान अथॉरिटी के मैंबर एडवोकेट मनु जिंदल, रिटा. सरकारी प्रिंसीपल गिरधारी लाल ने सबसे पहले पीड़ित पक्ष को सुना। पीड़ित रितेश उप्पल के माता-पिता पराग उप्पल और मीरा उप्पल ने सबसे पहले सारी दास्तां सुनाई और समझाया कि कैसे स्कूल ने उनको ठगा और उनके बेटे की जिंदगी को बर्बाद करके रख दिया।
वहीं, स्कूल प्रबंधन की ओर से बिना अथारिटी लैटर पेश हुए मिस्टर खोसला ने पहले तो बेतुकी बातों से मामले को उलझाने का प्रयास किया लेकिन जब अथॉरिटी ने उनकी तमाम दलीलों को दरकिनार करते हुए रिकार्ड के मुताबिक ई-पोर्टल रजिस्ट्रेशन बाबत पूछा तो पहले तो उनको कोई जबाव नहीं आया और फिर उन्होंने एक पुरानी हिन्दी फिल्म में वकील का रोल करने वाले अमरीश पुरी की तरह खराब सेहत की दलील पेश करके तारीख की मांग की और कहते सार ही सुनवाई से भाग खड़े हुए।
सुनवाई के दौरान अथॉरिटी के समक्ष डिप्टी डायरैक्टर राजीव जोशी डिप्टी डायरैक्टर (एैलीमैंटरी) स. मुलतानी भी सरकारी रिकार्ड लेकर मौजूद रहे। सुनवाई करने वाली कमेटी के सदस्य एडवोकेट मनु जिंदल ने बताया कि प्रोसीडिंग शुरू कर दी गई है। स्कूल प्रबंधन को एक आखिरी मौका दिया जाएगा और लिखित रिप्लाई पेश करने को बोला है। आखिरी फैसला एडीसी जनरल ने लेना है।
गौरतलब है कि गत दिवस यह मामला सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने पीड़ित छात्र की माता की शिकायत का संज्ञान लेकर स्कूल प्रबंधन को कसूरवार ठहराया था। अधिकारी ने नियमित कार्यवाही के बाद स्कूल प्रबंधन को छात्र की रजिस्ट्रेशन ई-पोर्टल पर करने का आदेश दिया था। आदेश का पालन न करने पर आखिरी चेतावनी भी जारी की थी।
उधर, पीड़ित छात्र रितेश के पिता पराग उप्पल ने भी कानूनी रुख अख्तियार करते हुए स्कूल प्रबंधन को लीगल नोटिस जारी करते हुए फीस के करीब 9 लाख रुपए लौटाने और मुआवजे के तौर पर 40 लाख रुपए की मांग पेश की थी। हालांकि स्कूल प्रबंधन चुप्पी साधे बैठा है और हर स्तर पर अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। अब देखना शेष है कि आने वाले समय में शिक्षा अधिकारी और एडीसी क्या एक्शन लेते हैं।