दिल्ली शराब घोटाले में 170 मोबाइल इस्तेमाल के बाद तोड़े,पढ़े सिसोदिया की गिरफ़्तारी के 4 बढ़े कारण

BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA 

सिसोदिया के जेल जाने की 4 बड़ी वजहों को जानिए

1. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिल्ली के बड़े बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। सिसोदिया के बेहद करीबी अरोड़ा सरकारी गवाह बन गए। अरोड़ा ने ही सिसोदिया, विजय नायर और आप के कई बड़े नेताओं के नाम लिए।

2. CBI के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के डिप्टी CM को सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर कई फोन को नष्ट करने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने दिसंबर 2022 में दिल्ली की कोर्ट में दावा किया था कि सिसोदिया और अन्य अरोपियों ने 170 बार मोबाइल फोन बदले और फिर इन्हें तोड़ दिया। इससे 1.38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एक्साइज स्कैम में सबूतों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया। ED ने कहा था कि इस मामले में प्रमुख सबूत मोबाइल फोन में थे और इस मामले में कम से कम 36 आरोपियों ने मई से अगस्त 2022 तक 170 मोबाइल का यूज किया और उन्हें बाद में तोड़ दिया। ED ने 17 फोन बरामद किए। हालांकि उसमें भी डेटा को डिलीट कर दिया गया था।

3. CBI की जांच टीम ने सिसोदिया से कई फोन से संदेशों के विवरण के बारे में जानना चाहा। उनसे पूछा गया कि आबकारी नीति जारी होने से पहले ही इसकी कॉपियां कारोबारियों तक कैसे पहुंच गईं? आरोप है कि इसे मोबाइल से शेयर किया गया।

4. सिसोदिया के खिलाफ आपराधिक साजिश धारा 120B और सबूत नष्ट करने के लिए धारा 477A लगाई गई है। आरोप है कि रद्द की गई आबकारी नीति में शराब के थोक विक्रेताओं का लाभ मार्जिन 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया, जो ‘साउथ लॉबी’ के कहने पर किया गया। साउथ लॉबी के कुछ नेताओं और शराब कारोबारियों का समूह था। इसके जरिए आप को करोड़ों रुपए मिले।

दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में CBI ने गिरफ्तार किया है। CBI ने शुक्रवार को उनसे 8 घंटे पूछताछ की थी। सिसोदिया पर शराब घोटाले से जुड़े अहम सबूतों को नष्ट करने का आरोप है।जिसमें CBI ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया है? सिसोदिया पर कौन से सबूत को नष्ट करने का आरोप है?

दिल्ली की पुरानी शराब नीति में 60% दुकानें सरकारी थीं
दिल्ली में पुरानी नीति के तहत L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था। इसमें L1 दुकानें DDA के अप्रूव्ड मार्केट, लोकल शॉपिंग सेंटर, कन्वीनिएंट शॉपिंग सेंटर, डिस्ट्रिक्ट सेंटर और कम्युनिटी सेंटर में चला करती थीं।
2003 से ही L1 और L10 लाइसेंस चल रहे थे। L10 वाइन शॉप के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए थे। हर साल वेंडर लाइसेंस रिन्यू के लिए फीस भरता है। वहीं होलसेल के लिए फिक्स प्राइस थी और बिलिंग अमाउंट पर वैट लगता था।

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।नई शराब नीति लागू होने के बाद से केजरीवाल सरकार के राजस्व में 27% का इजाफा हुआ। सरकार के खजाने में 8900 करोड़ रुपए आए।