“शिक्षा एक मिशन” “शिक्षा एक सेवा” का दावा करने वाला “INNOCENT HEART SCHOOL” भी CBSE का आदेश नहीं मान रहा, पढ़े क्या है संगीन मामला

BURNING NEWS✍️Rajesh Sharma 

“शिक्षा एक मिशन” “शिक्षा एक सेवा” का दावा करने वाला “INNOCENT HEART SCHOOL” भी CBSE का आदेश नहीं मान रहा, पढ़े क्या है संगीन मामला

शिक्षा के व्यापारीकरण के शोर को कम करने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) लगातार निजी स्कूलों पर अपना शिकंजा कसता जा रहा है।

बोर्ड ने अब सभी निजी स्कूलों को सर्कुलर जारी किया गया जिसमें फीस स्ट्रक्चर से लेकर तमाम छोटी-बड़ी जानकारी एक महीने के अंदर अपनी-अपनी स्कूल वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है।

CBSE के इस आदेश के बाद उम्मीद थी कि खुद को पाक-साफ और “शिक्षा एक मिशन” का नारा लगाने वाले स्कूल प्रबंधन पहलकदमी करेंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।

जालंधर के बाकी स्कूलों ने तो दूर, सेवा भावना का दावा करने वाले बौरी मेमोरियल की छत्रछाया के नीचे चलने वाले इनोसेंट हार्ट्स स्कूल के प्रबंधकों ने भी CBSE के उक्त आदेश के बाद चुप्पी सी साध रखी है। किसी से क्या पूछना अब कि स्कूल की वेबसाइट सारी कलई खोल रही है।

हैरत यह भी कि स्कूल की वेबसाइट पर बाकी डेटा अपलोड करना तो दूर स्कूल की बैलेंसशीट तक अपलोड नहीं की है। RTE का डेटा तो बहुत पहले अपलोड करना था लेकिन प्रबंधक भूले बैठे हैं।

स्कूल प्रबंधक हालाँकि खुद को हर कदम पर सही साबित करने के बढ़े-बढ़े दावे करता है पर इसके बावजूद स्कूल वालों ने सरकारों और CBSE के आदेशों को सुनकर कान बंद कर रखें हैं।

यहां बता दे कि CBSC के इस आदेश का उद्देश्य यह कि इससे जहां स्कूल संचालक अब बच्चों के अभिभावकों से निर्धारित फीस से अधिक पैसे नहीं ले सकेंगे, वहीं बच्चों की सुरक्षा के मानकों की हो रही अनदेखी पर भी रोक लगेगी।

आखिर क्यों जारी हुआ आदेश, पढ़िए

दरअसल, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली से बहुत बड़ी संख्या में देश व प्रदेश में निजी स्कूलों ने मान्यता ले रखी है। सीबीएसई से संबद्ध इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी सरकारी स्कूलों की तुलना में कई गुणा अधिक है। कई प्राइवेट स्कूलों में नियमों को ताक पर रखकर मोटी मासिक ट्यूशन फीस वसूली जाती है।

इसके अलावा दाखिले के नाम पर बच्चों से हर साल बिल्डिंग फंड, बच्चों के सुरक्षा मानकों समेत विभिन्न फंडों के तौर मोटी रकम वसूली जाती है, जबकि बोर्ड के रिकार्ड में कुछ और दिखाया जाता है। इतना ही नहीं, निजी स्कूलों में कर्मचारियों के वेतन संबंधी रिकार्ड में भी सरकारी मानकों की अनदेखी की जाती है।

इस प्रकार निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर अभिभावकों, शिक्षकों व सरकार को राजस्व में भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। अब सीबीएसई ने अपने सभी संबद्ध स्कूलों को बच्चों की मासिक ट्यूशन फीस, स्कूलों को अपनी संबंद्धता, स्कूल कोड संख्या, प्रिंसिपल का नाम व शैक्षणिक योग्यता, स्कूल शिक्षा समिति पंजीकरण की जानकारी, वार्षिक एकेडमिक कैंलेंडर, अभिभावक-अध्यापक एसोसिएशन व स्कूल मैनेजमेंट, स्कूल के कक्षा कक्षों, प्रयोगशाला, इंटरनेट सुविधा, शौचालयों, स्कूल बिल्डिंग सुरक्षा प्रमाणपत्र, फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र, वाटर हेल्थ व सैनिटेशन का वैध प्रमाण पत्र एक महीने के अंदर स्कूल की वेबसाइट के होम पेज पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद बोर्ड के प्रतिनिधि मौके पर जाकर इन तमाम मानकों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

इन प्रमाणपत्रों में कमी होने की स्थिति में स्कूल के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी, परंतु पड़ी तो मान्यता भी रद्द कर दी जाएगी। ऐसे में निजी स्कूल संचालकों को अब तक केवल कागजों में चल रहे मानकों को पूरा करना होगा। इससे अभिभावक स्कूल की फीस समेत तमाम जानकारी हासिल कर सकेंगे और उसी के अनुसार सुविधाओं का लाभ लेंगे। इस प्रकार सीबीएसई का यह कदम हर लिहाज से अभिभावकों व बच्चों के लिए महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है।

उधर, इस संबंध में स्कूल के PRO मनीष जोशी को संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका नंबर OUT OF कवरेज एरिया था। मगर हमको उनके लिखित पक्ष का इंतज़ार रहेगा।