जालंधर (राजेश शर्मा): गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल  की 34वीं बैठक में घर खरीदने वालों को बड़ा तोहफा मिला है। सूत्रों के मुताबिक GST काउंसिल की बैठक में 1 अप्रैल से अंडर कंस्ट्रक्शन पर 5% जीएसटी लागू होगा। अंडर कंस्ट्रक्शन पर बिना ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के 5 फीसदी जीएसटी लागू होगा।

जीएसटी काउंसिल ने नए रियल प्रोजेक्ट पर 1 अप्रैल से 5 फीसदी जीएसटी लगेगा।मौजूदा प्रोजेक्ट में इस बात की छूट रहेगी कि वो मौजूदा GST रेट दें और ITC लें या फिर नया GST चुकाएं लेकिन उस सूरत में ITC नहीं मिलेगा।

ऐसे मिलेगा फायदा

अभी मकान खरीदना ज्यादा फायदेमंद-एक्सपर्ट्स के मुताबिक सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र में इनपुट क्रेडिट को समाप्त कर दिया है। एक अप्रैल के बाद लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट में बिल्डर को इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा।

इससे बिल्डर की लागत सात-आठ फीसदी बढ़ेगी। बिल्डर इस बढ़ी लागत का कुछ बोझ ग्राहकों पर मकानों की कीमत बढ़ाकर डालेंगे। ऐसे में अभी फ्लैट खरीदना बेहतर रहेगा।

45 लाख रुपए कीमत के मकान पर 5.82 लाख की बचतपहली बार घर खरीदने का सुनहरा मौका कैसे है, इसको इस तरह समझ सकते हैं।

अगर आप पहली बार घर अंडर कंस्ट्र क्शकन प्रोजेक्टइ में फ्लैट खरीद रहे हैं तो अभी तक 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है। वहीं एक अप्रैल से यह दर घटकर 5 फीसदी हो जाएगी, यानी जीएसटी में 7 फीसदी की कमी। इसके चलते 45 लाख रुपए की प्रॉपर्टी पर 3.15 लाख रुपए की सीधे बचत होगी।

अगर आप पहली दफा घर खरीदने जा रहे हैं तो प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत होम लोन पर 2.67 लाख रुपए की सब्सिडी मिलेगी। इस तरह कुल 5.82 लाख रुपए की बचत होगी।

किफायती घर खरीदना और आसान

देश में घरों की कमी को दूर करने के लिए किफायती घरों की परिभाषा भी बदली गई है। मेट्रो शहर में 60 वर्ग मीटर (करीब 650 वर्ग फीट) के घर फिफायती श्रेणी में जबकि नॉन-मेट्रो शहरों में यह आकार 90 वर्ग मीटर (970 वर्ग फीट) कर दिया गया है।

शर्त यह है मकान की कीमत 45 लाख रुपए तक हो। इसका मतलब यह हुआ कि 45 लाख रुपए तक के मकान किफायती श्रेणी में आएंगे।

यह होता है ड्यू पेमेंट-मान लीजिए, किसी बिल्डर ने दो साल पहले बहुमंजिला प्रोजेक्ट शुरू किया है। उसमें आधी मंजिलों का निर्माण हो चुका है।खरीदे जाने वाले फ्लैट का 50 फीसदी पेमेंट ड्यू हो गया।

मान लीजिए आपने 30 लाख रुपए का फ्लैट बुक कराया है और 10 लाख रुपए भुगतान दिया है तो पांच लाख रुपए ड्यूट पेमेंट होगा। क्योंकि प्रोजेक्ट का 50 फीसदी निर्माण होने आपको भी फ्लैट कीमत का 50 फीसदी पेमेंट देना जरूरी है।

इसके चलते प्रोजेक्ट का जितना निर्माण कार्य एक अप्रैल के बाद होगा, उस पर ही जीएसटी रेट में कमी का फायदा होगा।काउंसिल की 24 फरवरी की बैठक में अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट और सस्ते घरों पर जीएसटी रेट को घटाकर क्रमश: 5% और 1% कर दिया था।

इसकी नई दरें एक अप्रैल से प्रभावी होंगी

अभी अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी या रेडी-टू-मूव फ्लैट (जहां बिक्री के समय कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाता है) के भुगतान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 12% जीएसटी लगता है. सस्ते मकानों पर जीएसटी की दर 8% है।

क्या होता है ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट)

अगर आसान शब्दों में समझें तो जान लीजिए 100 रुपये का कच्चा माल बिस्किट बनाने के लिए कारोबारी खरीदने गया।इस पर कच्चा माल सप्लाई करने वाले ने 12 फीसदी टैक्स चुकाया तो निर्माता को कच्चे माल के लिए 112 रुपये देने पड़े लेकिन ये 12 रुपये जो टैक्स भरा गया वो लागत से अलग होगा।

अब इस कच्चे माल से निर्माता ने बिस्किट बनाया और उस पर अपना मार्जिन रखा 8 रुपये। इसके बाद निर्माता बिस्किट को थोक विक्रेता को बेचेगा।

निर्माता को 18 फीसदी जीएसटी लगेगा, 108 रुपये पर 19 रुपये 44 पैसे तो थोक विक्रेता को देने पड़ेंगे 127 रुपये 44 पैसे।अब तक चुकाए गए टैक्स के ऊपर टैक्स लगता था यानी जो टैक्स भरा वो लागत बन जाती थी लेकिन जीएसटी में लागत 100 रुपये ही रहेगी।

थोक विक्रेता ने निर्माता को जो 19 रुपये 44 पैसे चुकाए उसमें से 12 रुपये कम कर घट जाएंगे जो निर्माता ने 100 रुपये के साथ कच्चा माल खरीदने वक्त दिए थे और सरकार को जीएसटी चुकाना पड़ेगा सिर्फ 7 रुपये 44 पैसे, यहां जो 12 रुपये बिस्किट बनाने वाले को बचे वही इनपुट टैक्स क्रेडिट है।

जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था का फायदा तभी मिल सकता है जब सभी ने यानी कच्चा माल मुहैया कराने वाले से लेकर बनाने वाले और ग्राहक को माल बेचने वाले ने रजिस्ट्रेशन करा रखा हो।