BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA
जालंधर में चन्नी की जीत के बढ़े बढ़े दावे करने वाले नेताओं की बदौलत चन्नी जीते नहीं बल्कि हारे है, चन्नी को जीत मिलने में देहात की वोट का बड़ा योगदान रहा। चन्नी को जालंधर शहर के सभी इलाक़ों से वोट कम पड़े जबकि जालंधर सेंट्रल ओर नारथ में चन्नी भाजपा से पिछड़े है इतना ही नहीं वेस्ट इलाक़े में कई पुराने ओर सीनियर नेताओं के होने के बावजूद भी चन्नी मात्र 1500 वोट की बढ़त ही वेस्ट इलाक़े से ले पाएँ? चन्नी के हर रैली में साथ रहने वाले वेस्ट के नेताओं की बढ़ी बढ़ी बातें सुनें तो चन्नी को जैसे उन्हीं ने जिताया हो पर असल में चन्नी की वोट बैंक देखें तो शहर में किसी भी कांग्रेसी ने चन्नी के लिए वोट नहीं जुटाएँ, बल्कि चन्नी अगर जीते तो वो देहात से बढ़ी वोटों के मार्जिन से जीते, चन्नी की जीत कारण बने देहात के वोटर जो भाजपा को दरकिनार करके चन्नी का वोट बैंक बड़ा गए अगर चन्नी के वोट बैंक में शहरी वोटरों को देखे तो चन्नी को शहरी वोटरों ने दरकिनार किया। कई ऐसे भी नेता चन्नी के चुनाव प्रचार में थे जिन्होंने अपने घर सा आफिस या इलाक़े में चन्नी का एक बोर्ड तक नहीं लगाया ना ही चन्नी की कोई लोगों से मीटिंग तक करवा पाए पर वो चन्नी की जीत काँ क्रेडिट लेने में किसी से कम नहीं है।