पंजाब फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रारों की मिलीभगत से धोखाधड़ी के द्वारा डी-फार्मेसी की डिग्रियाँ लेने वाले 9 कैमिस्ट विजीलैंस ब्यूरो द्वारा गिरफ़्तार

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पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने आज राज्य के कुछ निजी फार्मेसी कॉलेजों की मिलीभगत के साथ धोखाधड़ी के द्वारा डी-फार्मेसी लाइसेंस प्राप्त करने वाले 9 उम्मीदवारों को गिरफ़्तार किया है। इस सम्बन्धी विजीलैंस ब्यूरो द्वारा पहले ही पंजाब राज्य फार्मेसी कौंसिल ( पी. एस. पी. सी.) के दो पूर्व रजिस्ट्रारों और कर्मचारियों के विरुद्ध प्राईवेट कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के गलत दाखि़ले करने, रजिस्ट्रेशन करने और डी-फार्मेसी लाइसेंस जारी करने के मौके पर अनियमितताएं करने के दोष अधीन एफ.आई.आर. नम्बर 17 तारीख़ 8.12.2023 को आई.पी.सी. की धारा 420, 465, 466, 468, 120-बी के अंतर्गत विजीलैंस ब्यूरो के थाना लुधियाना में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में मुलजिम प्रवीन कुमार भारद्वाज और डॉ. तेजवीर सिंह, दोनों पूर्व रजिस्ट्रार पी.एस.पी.सी. समेत सुपरीटेंडैंट अशोक कुमार को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए राज्य विजीलैंस ब्यूरो के सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस मुकदमे की जांच के दौरान आई.पी.सी की धारा 409, और 467 के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 7-ए, 8, 13(1) समेत 13(2) भी इस केस में जोड़ी गई है। उन्होंने आगे बताया कि जांच में साल 2005 से 2022 के दरमियान 143 विद्यार्थियों के जाली सर्टीफिकेटों का पता लगा है, जिससे पी.एस.पी.सी. में दाखि़ले, रजिस्ट्रेशनों और सर्टीफिकेटों में घपलेबाज़ी का खुलासा होता है।
उन्होंने आगे बताया कि मंगलवार को इस मुकदमे में 9 फार्मासिस्टों को नामज़द करके गिरफ़्तार कर लिया है। यह फार्मासिस्ट प्राईवेट फार्मेसी कॉलेजों के मालिकों/ प्रिंसीपलों के द्वारा पैसे देकर अलग-अलग संस्थाओं से धोखो से जाली 10+2 पास सर्टिफिकेट और डी-फार्मेसी पास सर्टिफिकेट समेत पी.एस.पी.सी. से जाली रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करवाने के दोषी हैं। इस समय यह सभी मुलजिम अलग-अलग स्थानों पर मेडिकल की दुकानें चला रहे हैं और लोगों की कीमती जानों के साथ खेल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गिरफ़्तार किए गए मुलजिमों में उमेश कुमार निवासी कस्बा भादसों जि़ला पटियाला, मोहम्मद असलम निवासी मालेरकोटला शहर, अब्दुल सतार निवासी गाँव लसोयी जि़ला मालेरकोटला, मोहम्मद मनीर निवासी गाँव बिंजोके खुर्द जि़ला मालेरकोटला, गुरदीप सिंह निवासी मंडी गोबिन्दगढ़, पुनीत शर्मा निवासी बहादुरगढ़ जि़ला पटियाला, रविन्द्र कुमार निवासी गाँव चप्पड़ जि़ला पटियाला, अशोक कुमार निवासी बरनाला शहर और मनिन्दर सिंह निवासी राहों रोड, लुधियाना शामिल हैं।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि उपरोक्त सभी मुलजिमों ने मिलीभगत के साथ अपनी डी-फार्मेसी की डिग्रियाँ जिन प्राईवेट कॉलेजों से हासिल की हैं उनमें पंजाब मल्टीपर्पज़ मेडिकल इंस्टीट्यूट शहना, जि़ला बरनाला, लॉर्ड कृष्णा कॉलेज ऑफ फार्मेसी, लेहरागागा, जि़ला संगरूर, ओंकार कॉलेज ऑफ फार्मेसी सजूमा, तहसील सुनाम, जि़ला संगरूर, माँ सरस्वती कॉलेज ऑफ फार्मेसी अबोहर, जि़ला फाजिल्का, जी.एच.जी. कॉलेज ऑफ फार्मेसी, रायकोट, जि़ला लुधियाना और लाला लाजपत राय कॉलेज ऑफ फार्मेसी, जि़ला मोगा शामिल हैं। उन्होंने आगे बताया कि पकड़े गए सभी मुलजिमों को कल स्थानीय अदालत में पेश किया जायेगा।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि डी-फार्मेसी संस्थाओं में खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए प्राईवेट कॉलेजों के मालिकों ने कथित तौर पर उपरोक्त मुलजिम रजिस्ट्रारों और पी.एस.पी.सी. के कर्मचारियों की मिलीभगत के साथ अनिवार्य माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किये बिना रिश्वत लेकर अन्य राज्यों के विद्यार्थियों को दाखि़ल किया था। इसके अलावा, कई विद्यार्थियों ने प्राईवेट तौर पर मेडिकल या नॉन-मेडिकल स्ट्रीमों में ज़रूरी 10+2 शैक्षिक योग्यताएं के ज़रिये डी- फार्मेसी कोर्स में दाखि़ला प्राप्त किया, जबकि यह शैक्षिक योग्यता रेगुलर क्लासों और साइंस प्रैक्टिकल देकर हासिल करनी होती है।
उन्होंने कहा कि पी.एस.पी.सी. के अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों और क्लर्कों के साथ-साथ प्राईवेट कॉलेजों से सम्बन्धित व्यक्तियों की भूमिकाओं की जांच के लिए इस केस की आगे की जांच जारी है।