रिहायशी मकान तोड़कर बना दी नाजायज कमरशियल बिल्डिंग

BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA 

महानगर जालंधर अवैध निर्माण का गढ़ बन चुका है। शहर की कोई गली, कोई बाजार, कोई सड़क ऐसी नहीं जहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण न हो रहा हो। रूल्ज़ को फोलो किए बिना ही नगर निगम के अधिकारियों की मेहरबानी से रैज़ीडैंशियल ईलाकों में कमर्शियल निर्माण तक लगातार जारी है।

बता दें कि अवैध निर्माण को लेकर जालंधर नगर निगम पहले से ही बेहद बदनाम है। अवैध निर्माण को लेकर कई केस अदालतों में भी चल रहे हैं और नगर निगम के अधिकारी कई बार अदालत से अपनी फजी़हत भी करवा चुके हैं। इसके बावजूद निगम अधिकारी निर्धारित सरकारी फीसे वसूलने की बजाए अपने निजि खजाना भरते जा रहे हैं।

वैसे तो शहर की कोई गली, मोहल्ला, सड़क ऐसी नहीं जहां अवैध निर्माण न हो रहा हो, लेकिन जालंधर के माईं हीरा गेट से सटे रिहायशी ईलाके विक्रामपुरा के मोबाइल शॉप तथा स्टेशनरी की दुकानों वाली गली में बन रही कमर्शियल इमारत खासी चर्चा में है।

हैरानीजनक तथ्य ये सामने आया है कि रिहायशी प्लाट को बेहद ही चतुराई से कमर्शियल में तबदील कर दिया गया है। कमर्शियल भी ऐसे कि 4 मरले में बना पुराना मड्ड हाऊस को अंदर ही अंदर गिरा कर ग्राऊंड और फर्स्ट फ्लोर पर 4-4 दुकानें बना दी गई हैं। प्लाट मालिक द्वारा मड्ड हाऊस की चारदीवारी नहीं गिराई गई। पुरानी चारदीवारी के भीतर भीतर नई कमर्शियल इमारत तैयार की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि कमर्शियल और अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहा है। प्लाट के बाहर बिल्डिंग मैटीरियल का सामान पड़ रहता है और मजदूर काम करते दिख जाते हैं।

बताया जा रहा है कि ये जगह किसी एन.आर.आई की है। लगभग डेढ साल पहले उसने ये जगह खरीदी और निगम अधिकारियों से कथित सांठगांठ के बाद रिहायशी प्लाट को कमर्शियल में तबदील कर दिया गया। हैरानीजनक बात ये है कि सरेआम हो रही इस अवैध कमर्शियल निर्माण पर नगर निगम अधिकारियों की पैनी नज़र क्यो नहीं पड़ रही। सूत्रों का कहना है कि निगर निगम के अधिकारियों की मेहरबानी से ये अवैध कमर्शियल निर्माण हो रहा है।