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नया साल अपने साथ नई खुशियां, आकांक्षाएं और उम्मीदें लेकर आएगा। वैदिक ज्योतिष में कुछ ग्रह हर महीने स्थान परिवर्तन करते हैं, तो वहीं कुछ ग्रह लंबे समय तक एक राशि में बैठते हैं। ग्रहों के स्थान परिवर्तन का हमारे जीवन पर बहुत असर पड़ता है। नए साल 2023 में भी ग्रहों का स्थान परिवर्तन या गोचर होगा। यहां आप जान सकते हैं कि नए साल 2023 में कौन-सा ग्रह कब और किस राशि में गोचर कर रहा है।
ज्योतिष के अनुसार शनि एकमात्र ऐसा ग्रह है जो एक ही राशि में सबसे लंबे समय तक बैठता है। शनि एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं। मंगल, शुक्र, बुध और सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं लेकिन चंद्रमा 54 घंटों में अपना स्थान बदल लेता है। राहु और केतु 18 महीने और देवताओं के गुरु बृहस्पति एक साल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं। राशि परिवर्तन के दौरान यह सभी ग्रह कभी मार्गी तो कभी वक्री चाल चलते हैं और गोचर के दौरान अस्त और उदय होते हैं। इनकी चाल के अनुसार ही व्यक्ति के जीवन पर इनका प्रभाव पड़ता है। नववर्ष 2023 में इन सभी ग्रहों का स्थान परिवर्तन होगा, जानिए कैसे।
शनि का गोचर
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि शनि ग्रह एक ही राशि में सबसे लंबे समय तक रहते हैं और यह ग्रह सबसे धीमी चाल चलता है। साल 2023 में 17 जनवरी को शनि ग्रह कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और फिर 3 फरवरी को अस्त हो जाएंगे।
यदि कुंडली में शनि शुभ हो तो जातक स्थिर, संतुलित, व्यवहारिक, परिश्रमी, गम्भीर और सीधा-सादा होता है। व्यक्ति आत्मविश्वासी होता है और शनि व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है।
शनि के प्रभाव से जातक कार्यकुशल बनता है। शनि व्यक्ति की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं का त्याग करने में सक्षम होता है।
राहु-केतु
इस वर्ष की शुरुआत में राहु मेष राशि में उपस्थित रहेंगे और 30 अक्टूबर को दूसरी राशि में गोचर करेंगे। वहीं केतु ग्रह तुला राशि में बैठे हैं और यह भी 30 अक्टूबर को ही राशि बदलेंगे।
वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है और इन दो ग्रहों का किसी भी राशि पर कोई स्वामित्व नहीं है। राहु और केतु को अशुभ प्रभाव देने वाले ग्रहों में शामिल किया जाता है।
बृहस्पति ग्रह
गुरु 22 अप्रैल 2023 को मेष राशि में गोचर करेंगे। बृहस्पति 4 सितंबर, 2023 को शाम 07:44 बजे से मेष राशि में वक्री होना प्रारंभ करेंगे। बृहस्पति 27 नवंबर, 2023 को सुबह 10:44 बजे अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 31 दिसंबर, 2023 को सुबह 08:11 बजे मेष राशि में मार्गी होंगे।
बृहस्पति उच्च बुद्धि और अध्यात्मवाद का कारक है। बृहस्पति व्यक्ति को धर्म और दर्शन की ओर प्रवृत्त करता है। यह एक व्यक्ति को धार्मिक और नैतिकता सिखाता है। बृहस्पति को कुलीन और परोपकारी ग्रह माना जाता है। यह समृद्धि और भाग्य से भी जुड़ा हुआ है। बृहस्पति को अपनी राशि यात्रा पूरी करने में 12 साल लगते हैं। यह मीन और धनु राशि का स्वामी है और ज्योतिषीय कुंडली के नौवें और बारहवें घर पर शासन करता है।
शुक्र ग्रह
5 दिसंबर को शुक्र ग्रह धनु राशि में गोचर करेंगे और फिर 29 दिसंबर को ये मकर राशि में स्थान परिवर्तन करेंगे। यह 2023 में शुक्र का आखिरी गोचर होगा।
शुक्र आनंद और कला को संदर्भित करता है। इसे आप प्रेम का कारक भी कह सकते हैं। शुक्र ग्रह का संबंध संगीत, कविता, नृत्य, खाद्य उद्योग, कला उद्योग, वस्त्र उद्योग, ब्यूटी पार्लर, गहने आदि से है।
बुध ग्रह
वर्ष 2023 में 3 दिसंबर को बुध ग्रह धनु राशि में आएंगे और 28 दिसंगर को राशि परिवर्तन कर मकर राशि में जाएंगे। फिर वक्री चाल में बुध 31 दिसंबर को वापिस धनु में आएंगे।
बुध ग्रह बुद्धि का कारक है। बुध व्यक्ति में बुद्धि, समझदारी और हास्य का प्रतिनिधित्व करता है। बुध को एक शुभ ग्रह माना जाता है लेकिन कुछ स्थितियों में यह एक अशुभ ग्रह में बदल सकता है। बुध द्विस्भाव स्वभाव वाला ग्रह है और यह दो राशियों, कन्या और मिथुन का स्वामी है। शरीर के जो अंग बुध से प्रभावित होते हैं वे हैं हाथ, कान, फेफड़े, तंत्रिका तंत्र, त्वचा आदि।
मंगल
वर्ष 2023 में मंगल ग्रह 13 मार्च को वक्री चाल बदलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल को एक गर्म और क्रोधित ग्रह माना जाता है। यह साहस, आत्मविश्वास, नेतृत्व जैसे गुणों पर राज करता है। लेकिन दूसरी ओर, यह ग्रह क्रोध, रोष, गुस्सैल स्वभाव, घृणा, आवेगी स्वभाव और असंवेदनशीलता जैसे नकारात्मक गुणों को भी जन्म दे सकता है। हालांकि, मंगल व्यक्ति को कौशल भी प्रदान करता है और उसे अच्छा सर्जन, इंजीनियर, डिजाइनर और कई अन्य कुशल व्यवसायों में मदद करता है। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। सूर्य की तरह मंगल की सबसे शक्तिशाली स्थिति तब देखी जाती है जब वह जातक के दशम भाव में बैठता है। कर्क और सिंह राशि वालों के लिए मंगल विशेष लाभकारी है।
सूर्य ग्रह
सूर्य एक राशि में एक महीने तक ही रहते हैं और इस प्रकार वो वर्ष 2023 के 12 महीनों में 12 बार स्थान परिवर्तन करेंगे। सबसे पहले सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इनका सबसे आखिरी स्थान परिवर्तन 16 दिसंबर को धनु राशि में होगा।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह मनुष्य की आत्मा को परिभाषित करता है। सूर्य की ऊर्जा का संचार व्यक्ति के जीवन को परिभाषित करता है, चाहे वह तारे की तरह चमकेगा या राख की तरह जलेगा। सूर्य साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मकता का प्रतीक है।
यह हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा खगोलीय पिंड है और वैदिक ज्योतिष में इसका बहुत महत्व है। सूर्य को अपनी यात्रा पूरी करने में 12 महीने लगते हैं और प्रत्येक ज्योतिषीय राशि में लगभग एक महीने तक रहता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को सभी ग्रहों का स्वामी माना गया है। यह एक व्यक्ति की आत्मा और पितृत्व चरित्र को नियंत्रित करता है।