दिल्ली में एक्साइज घोटाला तो जालंधर में 26 यूनिपोलज के ठेके में करोड़ों का घोटाला

BURNING NEWS✍️RAJESH SHARM

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मुनीश सिसोदिया के घर पर एक्साइज पालिसी में करोड़ों के घोटाले को लेकर जहां सीबीआई के द्वारा छापेमारी की गई है वही जालंधर में नगर निगम के माडल टाउन में 26 यूनिपोलज पर बिना निलामी ठेका देने में करोड़ों का घपला हो गया है। पर हैरानी की बात है कि शहर में सिवाए भाजपाईयो के सभी चुप है। हर दम ग़रीबों के हक़ में ओर अवैध धंधेबाज़ों के खिलाफ डिंडोरा पीटने वाली आम आदमीं पार्टी का हर कार्यकर्ता इस पूरे मामले में चुप्पी साध बैठा है।

नगर निगम जालंधर में बंद कमरे में करोड़ा का घोटाला हो जाता है मॉडल टाउन जोन के 26 यूनिपोल्ज का बिना ई-नीलामी के ठेका दे दिया जाता है पर जवाब देह कोई नहीं है। क़ानून के मुताबिक़ किसी भी ठेके को देने से पहले नगर निगम ई-टेडरिंग और ई-ऑक्शन करवाये, मुनाफे के सौदे को परखने के बाद दे ठेका पर यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पंजाब सरकार की ऑउटडोर विज्ञापन पॉलिसी को भी दिखाया ठेंगा, ​निकाय मंत्री और चंडीगढ़ में उच्च अधिकारियों के पास शिकायत पहुँचने के बाद कोई कारवाई ना होना संदेह है,वैसे तो आम आदमीं पार्टी की सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को जेल भेजने के बढ़े बढ़े दावे करके अपनी  पीठ थपथपा रही है पर इस मामले  में चुप्पी साधने का मतलब साफ़ है कि इसके पीछे आम आदमीं पार्टी के ही कार्यकर्ताओं की कहीं ना कहीं भूमिका है,

 

स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों में करोड़ों के घोटालों की जांच पूरी नहीं हो सकी कि नगर निगम जालंधर में पिछले महीने विज्ञापन टेंडर में करोड़ों का घोटाला हुआ, जिसके सामने आने के बाद निगम अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। निगम अधिकारियों ने बिना ई-टेंडरिंग और ई-नीलामी करवाये मॉडल टाउन जोन के 26 यूनिपोल्ज का ठेका बंद कमरे के अंदर जालंधर की नई कंपनी कंपैक्ट एडवरटाइजिंग को देते हुये पंजाब सरकार की आउटडोर विज्ञापन पॉलिसी को ठेंगा दिखाया। निगम की ओर से नियमों की अनदेखी की शिकायत निकाय मंत्री और चंडीगढ़ में बैठे उच्च अधिकारियों को कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक मार्च में विज्ञापन ठेका खत्म होने के बाद पुरानी कंपनी को 10 प्रतिशत बढ़ाकर नया ठेका दे दिया गया था, लेकिन अब नई कंपनी को रेट बढ़ाकर बंद कमरे में ठेका अलॉट कर दिया। सूत्रों के मानी तो यह ठेका 5 साल के लिये लगभग 5 करोड़ रुपये में हुआ है जबकि कुछ कंपनियां ऐसी भी थी जो इससे ज्यादा ऑफर कर रही थीं। बता दें कि साल 2018 में सरकार द्वारा जारी आउटडोर एडवरटाइजिंग पॉलिसी में प्रावधान है कि नगर निगम हाउस से प्रस्ताव की मंजूरी के बाद टेंडर या ई-ऑक्शन के माध्यम से विज्ञापन ठेका किसी को दिया जा सकता है। बता दें कि साल 2017 में ​निगम ने क्रिएटिव डिजाइनर्स को मॉडल टाउन जोन के 59 यूनिपोल के विज्ञापन का ठेका 8.88 करोड़ में दिया था जो 5 साल के लिये था। ठेका कंपनी ने 26 यूनिपोल से कमाई की और बाद में हाईकोर्ट में केस कर 2019 के अंत में 33 और यूनिपोल लगाकर कमाई शुरु कर दी। जिसके बाद निगम अधिकायियों और पार्षदों में काफी विवाद हुआ था। टेंडर के अनुसार मार्च में 26 यूनिपोल के 5 साल को दिये ठेके की अवधि पूरी हो गई, जबकि बाद में लगाये 33 यूनिपोल का टेंडर 2024 तक पूरा होना है। तब मार्च में पूर्व कमिश्नर ने क्रिएटिव डिजायनर्स को ठेका दे दिया था लेकिन जुलाई के अंत में निगम कमिश्नर ने बगैर कोई टैंडर करयो क्रिएटिव​ डिजायनर्स से ठेका लेकर जालंधर की कंपैक्ट एडवरटाइजिंह नाम की फर्म को दे दिया। जबकि ठेका के बेहतर रेट के लिये टेंडर के जरिये इच्छुक कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा का प्रावधान है जिसे नजर अंदाज किया गया।
-विज्ञापन टेंडर की ये हैं नियम और शर्तें
-सबसे पहले निगम किस जोन में कितने यूनीपोल्ज का ठेका देगा, उसकी लिस्टिंग होगी।
-निगम विज्ञापन ठेके के लिये ई-टेडरिंग और ई-ऑक्शन होगी।
-इसमें शहर या बाहर की कंपनियां अपनी कोटेशन पेश करेंगी।
-निगम ठेका शॉर्ट टर्म में 7 दिन और नॉर्मल तरीके से नीलामी में 21 दिन का समय देता है।
-निगम की ओर से दिये गये समय में विज्ञापन ठेके में टेंडर डालने वाली कंपनियां पेपर पूरे कर सकें।
-निगम सभी कंपनियों के टेंडर रिव्यू करेगा और फिर ई-नीलामी होगी।
-ई-नीलामी में जो कंपनी ज्यादा राजस्व का ऑफर करेगी उसे ठेका दिया जायेगा।
-विज्ञापन पॉलिसी के तहत निगम हाउस में मंजूरी के बाद मिलता है ठेका।