BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA
जालंधर में नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों की शह पर जगह जगह अवैध निर्माण हो रहे हैं पर शिकायतों के बावजूद भी भ्रष्ट अधिकारी आँखें बंद करके बैठे है।
पंजाब में सरकार बदलने के बाद नगर निगम जालंधर की कार्यप्रणाली में भी व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बीते समय में राजनीतिक सरंक्षण के चलते हुए असंख्य अवैध निर्माणों के खिलाफ निगम अधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है।
जानकारी मिली है कि निगम की बिल्डिंग ब्रांच ने माडल टाउन के नियो जिम वाली इमारत के मालिक अजय चड्डा और उनकी पत्नी अनीता चड्डा को उनकी इमारत नंबर 287-एल पर किए अवैध निर्माण और शर्तों के उल्लंघन के चलते फाइनल नोटिस जारी किया है।
नगर निगम सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि नियो जिम वाली इमारत के अवैध निर्माण को बिल्डिंग ब्रांच की टीम अब बिना चेतावनी दिए किसी भी वक्त गिरा सकती है। सूत्र बताते है कि इस कार्रवाई को एकाएक अंजाम देने के मद्देनजर निगम की संबंधित ब्रांच को एक डिच मशीन स्टैंड बॉय रखने के लिए कहा गया है।
विस्तार जानकारी यह भी है कि नगर निगम की ओर से जारी फाइनल नोटिस में निगम के बिल्डिंग ब्रांच प्रमुख ने इमारत मालिक अजय चड्डा और उनकी पत्नी अनीता चड्डा को बीते समय में दिनाक 13.08.2021, 24.08.2021 तथा 30.12.2021 को जारी नोटिस बाबत भी याद दिलाया है जिसमें अवैध निर्माण खुद गिराने के लिए कहा जा चुका है।
निगम के जारी नोटिस में अजय चड्डा और उनकी पत्नी अनीता चड्डा को यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अवैध निर्माण का जितना हिस्सा राजीनामा योग्य था, वो किया जा चुका है। इसी तरह यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि पिछली सरकार की ओटीएस स्कीम के तहत भी आपके अवैध निर्माण को रैगुलर नहीं किया जा सकता क्योंकि विवादित निर्माण से जिम वाले क्षेत्र में पार्किंग समस्या पैदा हो रही है। सोलर पेनल और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की शर्त को पूरा नहीं किया है।
दरअसल, नक्शा पास होने के बाद भी अजय चड्डा और उनकी पत्नी अनीता चड्डा ने जिम वाली इमारत का निर्माण नियमों के विपरित जाकर किया। निगम सूत्र बताते हैं कि उस समय राजनीतिक शह के चलते निगम अफसर चुप रहे लेकिन नए अफसरों ने इसका संज्ञान ले लिया था और नियमित प्रक्रिया के तहत नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरु कर दी थी।
निगम अधिकारियों के मुताबिक इमारत के मालिक अजय चड्डा और उनकी पत्नी अनीता चड्डा ने राजनीमा के उद्देश्य से एक शपथपत्र भी दायर किया था लेकिन ओटीएस स्कीम का लाभ लेने में असफल रहे हैं। उनके मुताबिक क्षेत्र की पार्किंग समस्या को मद्देनजर रखते हुए इस अवैध निर्माण को गिराना मजबूरी है।
उधर, इमारत अजय चड्डा का कहना है कि उनके इमारत के अवैध निर्माण बारे कोई जानकारी नहीं है। अवैध निर्माण के बारे में सवाल करने पर भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए और इस मामले से जुड़े किसी भी सवाल पर जवाब देने से इंकार कर दिया। बहरहाल, देखना शेष होगा कि अब नगर निगम के फाइनल नोटिस के बाद दोनों में से पहले कौन एक्शन में आता है।