BURNING NEWS✍️Rajesh Sharma
भगवान का दर्जा मानने वाले डाक्टर सच में भगवान है। इसका जीता जागता सबूत उस समय देखने को मिला जब जालंधर के एक सपाईन मास्टर के नाम से मशहूर सर्वोदय असपताल के डाक्टर पंकज त्रिवेदी ने इंसानियत दिखाते हुए मरीज का अपने अस्पताल में 10 महीने तक इलाज किया ओर जब मरीज से इलाज के पैसे लेने का समय आया तो डाक्टर ने मरीज के परिवार से उनका बना बिल 40 लाख रूपए लेने से इंकार कर दिया। जालंधर के इस डाक्टर की इंसानियत देखकर मरीज के परिवार वाले ना केवल डाक्टर को दुआएं दे रहे है बल्कि सब लोग डाक्टर को इंसान के रूप में भगवान मान रहे है। डाक्टर के द्रारा मरीज का 10 महीने दिन रात इलाज के बाद अपना 40 लाख का बिल ना लेना सराहनीय कदम है।
ये काम जालंधऱ के डाक्टर मशहूर सपाईन सर्जन डाक्टर पंकज त्रिवेदी ने किया। जिनहोनें इंसानियत दिखाते हुए मरीज का 40 लाख का बिल खुद ही छोड़ दिया। जालंधऱ के खालसा कालेज के सामने सिथत सरवोदय अस्पताल के सपाईन सर्जन डाक्टर के दारा मरीज से पैसे ना लेने के बाद पूरे जिले में उनकी परशंसा हो रही है।
मरीज अमन अवस्थी के सिर पर इतनी गहरी चोट लगी थी कि वह न तो बोल सकता है और न ही अपने हाथ पैर हिला सकता है। वह पिछले सवा साल से बेड पर ही लेटा है। वह खुद खाना खाने की हालत में भी नहीं है। इलाज कराने में असमर्थ अमन के परिवार के पास जो कुछ था वह पहले कुछ महीनों में ही खर्च हो गया था। अमन सितंबर, 2018 से सर्वोदय अस्पताल के स्पाइन मास्टर्स यूनिट में भर्ती है। परिवार की माली हालत देख डॉ. पंकज त्रिवेदी ने भी पिछले 10 महीने से एक रुपया चार्ज नहीं किया है। 40 लाख रुपए से ज्यादा का आईसीयू और अन्य चार्ज माफ कर दिए हैं।
पिता संदीप अपस्थी से बातचीतः
पहली बार बिना हैलमेट के गया ओर पहुंचा मौत के मुंह में
अमन के पिता संदीप अवस्थी बिजली विभाग में अकाउंटेंट हैं। उन्होंने बताया कि अमन का हैलमेट चालान के डर से उसका मामा पहन चला गया जो अमन बिना हेलमेट के पहली बार कालेज बाईक पर चला गया। कि गलत साइड से आने वाली कार ने उसे टक्कर मार दी। बिना हैलमेट के बाइक चलाने का नतीजा आज पूरा परिवार भुगत रहा है।
लोग वीडियो बनाते रहे नहीं पहुंचाया अस्पताल
अमन सड़क पर बेहोश पड़ा था। कालेज के बाहर कुछ छात्र और राहगीर वीडियो बनाने लगे। वहां जालंधर से लुधियाना जा रहे एक युवा लाइट एंड साउंड कारोबारी और उनके एमआर दोस्त ने गाड़ी रोक तुरंत अमन को उठाया और पास खड़े एक ऑटो रिक्शा में सर्वोदय अस्पताल ले आए।
सिर की गहरी चोट के साथ आएं 2 हार्ट अटैक-डॉ. त्रिवेदी
डॉ. पंकज त्रिवेदी
स्पाइन मास्टर्स के न्यूरो सर्जन डॉ. पंकज त्रिवेदी ने बताया कि अमन के दिमाग में गहरी चोट लगी थी। उसे पहला हार्ट अटैक स्ट्रेचर पर आया और दूसरा दिमाग की सर्जरी करते वक्त। हालांकि दोनों बार उसे संभाल लिया गया। एक्सीडेंट अस्पताल के पास ही हुआ था। उसे लाने में कुछ मिनट की देरी होती तो बचाना मुश्किल हो जाता। हम उसकी जान बचाने में कामयाब रहे हैं। उसकी सेहत में सुधार तो है लेकिन बहुत धीमा। ऐसी हालत में जब दिमाग के बड़े हिस्से को बहुत ज्यादा चोट पहुंचती है तो रिकवरी बहुत धीमी होती है।
डॉ. त्रिवेदी ने किया 40 लाख रुपए से ज्यादा का बिल माफ
दिमाग की चोट के बाद कई महीने अमन कोमा और वेंटिलेटर पर रहा। आईसीयू, सर्जरी, दवाइयां सब मिलाकर बहुत खर्च हो रहा था। अमन के पिता संदीप अपस्थी बताते हैं कि उनका सबकुछ इलाज में लग चुका था वही डाक्टर त्रिवेदी की मदद से उनको ये एहसास हुआ कि भगवान ने उनके लिए कोई फरिशता भेजा है। डॉ. पंकज त्रिवेदी ने एक दिन कहा आपको अस्पताल का कोई भी चार्ज देने की जरुरत नहीं है। वेंटिलेटर, आईसीयू, बेड का चार्ज सब डॉ. त्रिवेदी ने उनसे लेना बंद कर दिया। बता दें कि सर्वोदय अस्पताल के डाक्टर पंकज त्रिवेदी ने मरीज अमन अवस्थी के परिवार से पिछले 10 महीने से एक रुपया नहीं लिया है। जबकि आईसीयू और बाकी चार्ज लगभग 40 लाख रुपए से ज्यादा के बनते हैं।
कोई डॉक्टर नहीं कर सकता इतनी सहायता- संदीप अवस्थी
मरीज अमन के पिता संदीप अवस्थी भावुक होकर कहते हैं कि शायद ही आज के युग में कोई डॉक्टर किसी की इतनी मदद करता हो। डॉ. त्रिवेदी के स्पाइन मास्टर का सारा स्टाफ भी अमन की बहुत अच्छे से देखभाल करता है। हमने पिछले 10 महीने में अस्पताल को एक रुपया नहीं दिया है। न ही उन्होंने हमसे मांगा। सिर्फ दवा का खर्च हम उठा रहे हैं।
मरीज की हालत देख दिल रोया इसलिए नहीं लिया बिल-डॉ. त्रिवेदी
डॉ. पंकज त्रिवेदी
Dr Pankaj Trivedi Spine Masters Aman
जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं। अमन के इलाज की फाइलें भी बढ़ती जा रही हैं। यह सिर्फ चंद फाइलें हैं। स्टाफ का कहना था कि अमन का मेडिकल रिकॉर्ड इससे कई गुणा ज्यादा है।
डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि ना सिर्फ डॉक्टर बल्कि नर्सिंग स्टाफ से अमन का बहुत लगाव हो गया है। वह स्टाफ को पहचानता है। मगर जैसे ही माता पिता आते हैं तो वह थोड़ा ज्यादा उत्तेजित हो जाता है। वह अब घर जाना चाहता है। मगर घर पर उसे 24 घंटे प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की निगरानी में रहना होगा। जैसे ही परिवार वाले वह सारे बंदोबस्त कर लेंगे तो हम अमन को डिस्चार्ज कर देंगे। अमन सवा साल से यहां है। बहुत कम मरीज ऐसे होते हैं जो इतने भयानक हादसे में जीवित रह पाते हैं। अमन के अंदरुनी अंग सही से काम कर रहे हैं। उसे किसी तरह के बेड सोर (लेटे रहने पर होने वाले जख्म) भी नहीं हुए हैं। बहुत केयर से हमने अमन को यहां रखा है। उसका मेडिकल रिकॉर्ड कई दर्जन फाइलों में तब्दील हो चुका है। जैसे ही स्टाफ को पता चला कि उसका जन्मदिन है तो उन्होंने अमन के साथ सेलिब्रेट भी किया। वह माता पिता को पहचान तो रहा है लेकिन अभी बोल नहीं पाता। वह कब खड़ा होकर चलने लगेगा यह कोई नहीं बता सकता।