मान सरकार का मालवा को सबसे बड़ा तोहफा

चंडीगढ़ (25 सितंबर ) : मालवा एक ऐसा क्षेत्र है जो पंजाब का सबसे बड़ा क्षेत्र भी है एवं कृषि में मालवे का बड़ा योगदान है, परंतु अबोहर, फाजिल्का समेत कुछ जिले ऐसे हैं जो आजादी से लेकर अब तक नहरी पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। उनकी उम्मीदें बिल्कुल टूट चुकी थीं, अब भगवंत मान सरकार उन किसानों के लिए मसीहा बनकर आई है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार पंजाब में कोई नई नहर बनेगी, पंजाब सरकार ने प्रदेश में मालवा नहर का नया नहरी प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया है। पंजाब सरकार ने दावा किया है कि इस नहरी प्रोजेक्ट से पंजाब में करीब 2 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई करने में सहायता मिलेगी।  यह मालवा नहर 149.53 किलोमीटर लंबी होगी। इसके साथ ही चौड़ाई 50 फुट, 12.5 फुट गहराई एवं 500 मोघे होंगे। नहर का प्रस्तावित सामथ्र्य 2000 क्यूसिक है। इस नहर को 2300 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा।

यह नहर हरिके हेडवक्र्स से लेकर राजस्थान फीडर नहर की बाईं तरफ के साथ-साथ इसके हेडवर्क से गांव वडि़ंग खेड़ा तक बनाई जाएगी। इस मालवा नहर का कुछ हिस्सा राजस्थान सरकार की प्रदेश में स्थित जमीन पर बनेगा जो राजस्थान फीडर के निर्माण के लिए अधिग्रहीत की गई गई थी। पंजाब सरकार के अनुसार मालवा नहर का निर्माण पंजाब के लिए बहुत अहम है क्योंकि फसली सीजन के दौरान फिरोजपुर फीडर की मांग अधिक होने से पंजाब की समूची मांग को पूरा नहीं किया जा सकता एवं इसके परिणाम के रूप में सरहिंद फीडर की सप्लाई भी प्रभावित होती है। इस कारण पंजाब को अपनी नहरें रोटेशन पर चलानी पड़ती हैं। सरहिंद फीडर की आरडी 7100 से 430080 के बीच 302 लिफ्ट पंप चल रहे हैं, जो राजस्थान फीडर की बाईं तरफ वाले क्षेत्र को सिंचाई करते हैं जबकि शुरू में रोपड़ हेड वक्र्स से सरहिंद नहर प्रणाली (अबोहर ब्रांच अप्प एवं बठिंडा ब्रांच) द्वारा सिंचाई की जाती थी।

पंजाब के अबोहर एवं फाजिल्का की नहरी सप्लाई के लिए पानी की कमी होती है। इस क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा को बढिय़ा बनाने के लिए वर्तमान सरकार ने जो नहरें राजस्थान फीडर एवं सरहिंद फीडर के समान एक अन्य नहर मालवा नहर बनाने का फैसला किया है। पंजाब सरकार के अनुसार इससे सरहिंद फीडर से अबोहर क्षेत्र के लिए अधिक पानी मुहैया होगा। इस नहर के बनने से श्री मुक्तसर साहिब, गिद्दड़बाहा, बठिंडा, जीरा के क्षेत्रों के साथ-साथ अबोहर, फिरोजपुर एवं फाजिल्का के क्षेत्रों को उनके हिस्से का पानी मिलेगा।