एड्स पीड़ित मरीजों को गले लगाएगी मान सरकार -मुफ्त सफर सुविधा एवं 1500 रुपए वित्तीय सहायत देने के बारे में विचार

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समाज से बहिष्कृत एड्स पीडि़तों को भगवंत मान सरकार अपने गले से लगाने जा रही है। इसकी शुरुआत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय डा. बलबीर सिंह ने स्टेट कौंसिल की पहली बैठक में कर दी। प्रदेश में एचआईवी पीडि़तों को आवश्यक सहायता प्रदान करने की योजना का प्रारूप तैयार करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में सरकार पीडि़तों के लिए 1500 रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता देने के प्रस्ताव पर मुहर लगाने जा रही है।

जनकल्याण योजनाओं में अग्रणीय फैसले लेने वाली मान सरकार ने एड्स पीडि़तों की मानसकिता बदलने एवं उन्हें मजबूत करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत स्टेट कौंसिल ने संक्रमित मरीजों को उनके घरों से इलाज सुविधा, एंटी रेटरोवायरल थैरेपी सेंटर तक महीने में एक बार मुफ्त आने-जाने की सुविधा देने संंबधी प्रस्ताव भी पेश किया है। इसके साथ एक अन्य कदम बढ़ाते हुए उन्होंने एचआईवी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए टास्क फोर्स गठित करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य उनकी रोजगार क्षमता में बढ़ोतरी करना एवं उनको सम्मानजनक जीवन जीने के योग्य बनाना है।

अपनी सरकार के पहले साल से ऐसे पीडि़त लोगों तक पहुंच करके उनके दैनिक जीवन को समझने एवं उनको आ रही पेश मुश्किलों को हल करने के लिए एक कदम बढ़ाया गया है ताकि एचआईवी से प्रभावित व्यक्तियों को इन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ लेने में रुकावटों या भेदभाव का सामना न करना पड़े।

मान सरकार द्वारा उद्योग एवं श्रम विभागों को जारी किए आदेशों के काफी लाभदायक होने की आस है। इसमें प्रदेश सरकार ने औद्योगिक घरानों को एचआईवी/एड्स संबंधी नीति को लागू करने के साथ-साथ 100 या इससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी उद्योगों में पीडि़तों के साथ भेदभाव के मुद्दों को हल करने के लिए एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया है।

मान सरकार ने आम लोग जो एड्स पीडि़त लोगों को गैर मानवीय भावनाओं के साथ देखते हैं, उनको भी अपील की है कि ऐसे लोगों के लिए वह अपनी धारणा बदलें क्योंकि एचआईवी पीडि़त लोगों को भी आम जीवन जीने का पूरा अधिकार है और हर किसी के लिए यह समझना जरूरी है कि एचआईवी किसी को छूने, वायु या पानी से नहीं फैलता बल्कि असुरक्षित यौन संबंधों, बार-बार प्रयोग में लाईं सुइयों, सिरिंजों आदि से फैलता है। उनको दुत्कार की नजर के साथ देखना हमारी सभ्यता के विपरीत है। इस कदम ने निश्चित रूप में उन पीडि़तों में विश्वास पैदा किया है जो जीने की आस छोड़ चुके थे एवं उनको मिली उम्मीद ने हौसले की उड़ान को आसमां दिखाया है।