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शिव सेना हिन्द की एक विशेष बैठक पार्टी के मुख्य कार्यालय में की गई।इस मौके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा ईशांत शर्मा विशेष रूप से उपस्थित हुए। इस मौके उन के साथ जिला प्रधान करण कपूर मौजूद थे।इस मौके ईशांत शर्मा ने कहा कि जेलों में बंद पुलिस मुलाजिमों की रिहाई के लिए शिव सेना हिन्द ने बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने कहा कि बंदी तत्कालीन पुलिसकर्मियों की रिहाई और दर्ज किए गए झूठे मामलों को रद्द करवाने के लिए हम दिल्ली में देश के गृह मंत्री अमित शाह को मांग पत्र सौपें कर अपनी मांग रखेगी। उन्होंने कहा कि इस के साथ साथ पंजाब के सभी जिलों में ज्ञापन सौपें जाएंगे ।
ईशांत शर्मा ने कहा कि हमारी मांगे न मानी तो शिव सेना हिन्द पक्का मोर्चा लगाएगी और पुलिसकर्मियों के परिवारों को इंसाफ दिलाने के लिए शिव सैनिक सड़क से संसद तक प्रदर्शन कर आवाज बुलंद करेंगे।
उन्होंने कहा कि शिव सेना हिन्द लंबे समय से यह मांग उठाती आ रही है कि जेलों में बंद पुलिस मुलाजिमों को रिहा किया जाए और उन के खिलाफ़ चल रहे सभी केसों को रद किया जाए।
उन्होंने कहा कि इस के लिए हम ने समय समय पर आवाज बुलंद की है और देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखे है लेकिन अभी तक पुलिसकर्मियों को कोई राहत नही दी गई।
इस अवसर पर ईशांत शर्मा ने कहा कि जेलों में बंद पुलिसकर्मियों के परिवारो को साथ लेकर जल्द ही शिव सेना हिन्द पंजाब के सभी डिप्टी कमिश्नरों को गृह मंत्री अमित शाह के नाम का मांग पत्र सौपेंगी। इस के लिए शिव सेना हिन्द ने अपने सीनियर नेताओं की 11 सदस्यीय टीम तैयार कर ली है।
उन्होंने कहा कि मांग पत्र देने के बाद भी अगर सरकार ने बंदी तत्कालीन पुलिसकर्मियों को रिहा नही किया और केस रद्द नही किये तो शिव सेना हिन्द मोहाली में पक्का मोर्चा लगाएगी।
उन्होंने कहा यह मोर्चा तब तक जारी रहेगा जब तक पुलिसकर्मियों की रिहाई और केस रद्द नही हो जाते।
शर्मा ने कहा कि पंजाब पुलिस के जाबांज बहादुर वीर अधिकारियों ने अपने प्राणों की परवाह किये बगैर 1980 से 1993 तक आंतकवादियो से लोहा लिया। 1993 में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के समय कई पुलिस अधिकारी भी बम धमाके में शहीद हुए। हज़ारों पुलिसकर्मियों ने आतंकवाद को मिटाने के लिए अपना बलिदान दिया। हज़ारों पुलिसकर्मी आतंकियों के हमलो से घायल हो गए । पुलिसकर्मियों के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता।
उन्होंने कहा कि पंजाब में 1980-1993 के दौरान आतंकवाद की वजह से अभूतपूर्व हिंसा देखी गई । इस दौरान आंतकवादियो ने 25000 से अधिक नागरिकों और 1800 वर्दी में तैनात पुलिसकर्मियों और उन के परिवारिक सदस्यों व रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी।
उन्होंने कहा कि पंजाब देश का एक ऐसा राज्य है जहां बहुत कम समय में पुलिस बलों द्वारा आंतकवाद का सफाया किया गया। लेकिन पंजाब पुलिस का सब से बुरा दौर 1995 में शुरू हुआ जब विदेशों में बैठी देश विरोधी ताकतों के इशारों पर काम करने वाली तथाकथित मानवाधिकार एजेंसियों ने अदालत में क्रिमिनल रिट पेटिशन न. सर्वोच्च न्यायालय में 497/95 जिस में यह कहा गया कि आतंकवाद के दौरान पंजाब के सीमावर्ती जिलों में बड़े पैमाने पर शवों का लावारिस के रूप अंतिम संस्कार किया था।
उन्होंने कहा कि 15 नवंबर 1996 को सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बंध में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ बहादुरी से लड़ने वाले पंजाब पुलिस के 300 अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए। जिन में 22 अधिकारियों को दोषी ठहरा कर जेल में बंद कर दिया गया। जिन की उम्र 70-80 वर्ष या उस से अधिक है।
उन्होंने कहा कि झूठे केस से परेशान होकर और अन्याय से तंग आकर एक एसएसपी, एआईजी, डीएसपी, इंस्पेक्टर, एएसआई ने आत्महत्या कर ली।
उन्होंने कहा कि अशांत क्षेत्र अधिनियम, 1989 की धारा-6 के तहत जो कहता है कि आंतकवादियो के खात्मे के लिए अशांति फैलाने वाले देश विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ केंद्र की मंजूरी के बिना मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इन सभी मामलों में केंद्र सरकार से कोई मंजूरी नही ली। वही इस मामले में जब पुलिस अधिकारियों की तरफ से 2001 में 38 स्पेशल लीव टू अपील दायर कर सर्वोच्च न्यायालय में चुनोती दी गई । वही इस मामले में 2003 में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया गया था जिस में कहा गया था कि केंद्र की मंजूरी के बिना पुलिस अधिकारियों पर केस नही चलाया जा सकता यह पंजाब अशांत क्षेत्र अधिनियम की घोर उल्लंघना है।
उन्होंने कहा कि सीआरपीसी धारा-321 के तहत पंजाब पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ चल रहे मामलों को रद्द किया जाए और जिन अधिकारियों की सजा पूरी हो चुकी है उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए।
उन्होंने कहा कि जिन पुलिस कर्मियों का सम्मान होना चाहिए था जिन के परिवारों को सरकार से मुआवजा बहादुरी पुरुस्कार या मदद मिलनी चाहिए थी उन पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज किए गए और उन्हें जेलों में रखा जाना बहुत शर्मनाक बात है।
उन्होंने कहा कि अगर पंजाब पुलिस बहादुरी व निर्भयतापूर्वक आतंकियों से लोहा न लेती तो पंजाब की हर गली हर घर में लाशों के ढेर होते। पंजाब पुलिस की वजह से ही आज पंजाब के लोग जिंदा है नही तो आंतकवाद के काले दौर में पंजाब में खून की नदियां बहने से कोई रोक नही पाता।
उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते है कि जल्द से जल्द सभी बंदी तत्कालीन पुलिसकर्मियों को रिहा किया जाए।