BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA
इनोसेंट हार्ट्स कॉलेज ऑफ एजुकेशन, जालंधर की एनएसएस इकाई ने भावी शिक्षकों के बीच व्यावसायिक शिक्षा, नई तालीम(नई शिक्षा) और अनुभवात्मक शिक्षा (वेंटेल) पर गांधीवादी दर्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गांधी जयंती समारोह शुरू किया।
सभी विद्यार्थी-अध्यापकों ने मिट्टी के बर्तन बनाना, कढ़ाई, सजावटी पेंटिंग, पेपर मेशी, काँच का काम, कपड़े की गृह सज्जा, कागज़-शिल्प, कठपुतली और पत्थर के काम जैसे हस्तशिल्प का सक्रिय रूप से अभ्यास किया। महात्मा गांधीजी ने हस्तशिल्प प्रशिक्षण पर ज़ोर दिया था, ” केवल उत्पादन कार्य के लिए नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की बुद्धि विकसित करने के लिए” – यह विभिन्न गतिविधियों का केंद्रीय विषय था।
विद्यार्थी-अध्यापकों – आशना, हरकीरत कौर, हितू शारदा, प्रीति, पूर्वी कालरा, रिशुप्रीत कौर और विशाली अरोड़ा द्वारा एक नाटक भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें दर्शाया गया कि नई तालीम (नई शिक्षा) एक बच्चे में कई कौशलों को पोषित करने पर केंद्रित है। नाटक के अंतिम दृश्य में दर्शाया गया है कि कैसे अनुभवात्मक शिक्षा प्रत्येक छात्र को बौद्धिक और आत्मनिर्भर बनाती है, जो बदले में एक व्यक्ति के रोज़गार और समग्र विकास के नए रास्ते खोलती है। प्राचार्य और स्टाफ के सभी सदस्यों ने विद्यार्थी-अध्यापकों के प्रदर्शन की सराहना की।
प्राचार्य डॉ. अरजिंदर सिंह ने बताया कि गांधीजी के अनुसार सच्ची शिक्षा शारीरिक अंगों और मानसिक शक्तियों के उचित व्यायाम और प्रशिक्षण के लिए है यानी गांधीजी ने शिल्प-केंद्रित शिक्षा पर ज़ोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि हमारे भावी शिक्षकों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा दिए गए शिक्षा के दर्शन को समझें और उसे आत्मसात करें।