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शांत हैं तो श्रीराम हैं, भड़क गए तो परशुराम हैं…भगवान परशुराम जयंती पर उनकी जीवनी, पढ़ें

BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA 

परशुराम जयंती को लेकर देशभर में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। कहीं शोभायात्रा तो कहीं धार्मिक आयोजनों के लिए लोग उत्साह से तैयारी में जुटे हैं। परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि वो आज भी धरती पर हैं। उन्हें चिरंजीवी माना गया है। भगवान परशुराम जन्म माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के घर प्रदोष काल में हुआ था। सनातन धर्म के लोग उनकी जयंती धूमधाम से मनाते हैं। इस वर्ष परशुराम जयंती 29 अप्रैल को मनाई जाएगी।

भगवान परशुराम, जिन्हें विष्णु का आवेशावतार माना जाता है, एक ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बावजूद क्षत्रिय स्वभाव के थे।वे ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे. उनका मूल नाम राम था, लेकिन जब भगवान शिव ने उन्हें परशु (एक प्रकार का अस्त्र) दिया, तो उनका नाम परशुराम हो गया. परशुराम को अस्त्रों और शस्त्रों का ज्ञान था, और उन्होंने भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे शिष्यों को शिक्षा दी थी

 

प्रमुख बातें:
  • जन्म:

    परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था, लेकिन उनका स्वभाव क्षत्रिय था. 

  • गुरु:

    भगवान शिव, विश्वामित्र, और ऋचिक को परशुराम के गुरु माना जाता है. 

  • अस्त्र:

    भगवान शिव से उन्हें परशु नामक अस्त्र मिला था. 

  • शिष्य:

    भीष्म, द्रोणाचार्य, और कर्ण परशुराम के शिष्य थे. 

  • क्षत्रियों का विनाश:

    परशुराम ने 21 बार हैहय वंश के क्षत्रियों का विनाश किया था, यह माना जाता है कि वे क्षत्रियों के अत्याचारों से बहुत क्रोधित थे. 

  • गणेश जी से विवाद:

    परशुराम ने एक बार भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था, जब गणेश जी ने उन्हें शिव के दर्शन करने से रोका था. 

  • चिरंजीवी:

    परशुराम को चिरंजीवी माना जाता है, अर्थात उन्हें अमर माना जाता है. 

परशुराम की कहानी कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जैसे कि ब्राह्मण और क्षत्रिय के बीच संबंध, धर्म की स्थापना, और अन्याय के विरुद्ध क्रोध. 

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