BURNING NEWS✍️RAJESH SHARMA
“पंजाब के 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 पुलिस अधिकारियों तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा, पूर्व एसपी हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू, पूर्व एसएचओ थाना सिटी मोगा रमन कुमार और पुलिस स्टेशन मोगा के तत्कालीन एसएचओ, पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह को 5-5 साल की सजा सुनाई है। 2-2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
“उधर, मामले के शिकायतकर्ता रनजीत सिंह ने कहा कि फैसला बहुत बढ़िया आया है। उन्होंने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट है। बता दें कि कोर्ट ने 29 मार्च को इस मामले में चारों को दोषी ठहराया गया था। अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिर्फ उर्फ मक्खन बराड़ और सुखराज सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
“किस-किस धारा में सुनाई सजा
सीबीआई कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (PC) अधिनियम की धारा 13(1)(d) के साथ धारा 13(2) के तहत दोषी पाया था। रमन कुमार और अमरजीत सिंह को भी PC अधिनियम की इन्हीं धाराओं और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी ठहराया गया था। अमरजीत सिंह को अतिरिक्त रूप से धारा 384 के साथ धारा 511 IPC के तहत भी दोषी पाया गया था।”
“अकाली सरकार के समय सामने आया मामला
यह मामला 2007 में उस समय सामने आया था, जब राज्य में अकाली-भाजपा सरकार थी। मोगा के थाना सिटी ने जगराओं के एक गांव की लड़की की शिकायत पर गैंगरेप का मामला दर्ज किया था। इसके बाद पीड़ित लड़की के धारा-164 के बयान दर्ज किए। इसमें उसने करीब 50 अज्ञात लोगों पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।
“HC ने लिया संज्ञान, कहा था- जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं
जब इस मामले में राजनेताओं और व्यापारियों के नाम आने लगे, मीडिया में यह केस सुर्खियां बनने लगा तो 12 नवंबर 2007 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले का खुद ही संज्ञान लिया। साथ ही पुलिस से इस मामले की रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सारे केस की जांच करने के बाद हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था। उस समय अदालत ने टिप्पणी की थी कि यह केस जम्मू सेक्स स्कैंडल से कम नहीं लगता है।”
“व्यापारियों और रईस लोगों को बनाते थे आरोपी
कोर्ट के आदेश पर दिसंबर, 2007 में CBI ने इसी मामले केस दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में पता चला कि देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने अन्य लोगों के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने की साजिश रची थी। उन्होंने दो महिलाओं के साथ मिलकर दुष्कर्म की झूठी FIR दर्ज की और भोले-भाले व्यापारियों और कारोबारियों को फंसाया। गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी।
सरकारी गवाह पति पत्नी की हुई थी हत्या
“सरकारी गवाह बनी महिला और उसके पति की हुई थी हत्या
इस मामले में मनप्रीत कौर नाम की महिला को सरकारी गवाह बनाया गया। हालांकि बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित किया। इस वजह से उसके खिलाफ मोहाली अदालत में अलग से कार्रवाई शुरू हुई। इसके अलावा रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह सरकारी गवाह बने।”