बर्बादी के कगार पर इमिग्रेशन बिजनेस-कनाडा जाने का सपना अब टूटा, जस्टिन ट्रूडो की नीतियों से भारतीयों का जोश ठंडा

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ट्रूडो सरकार की नीतियों के चलते पंजाब में वीजा सलाहकारों और एजेंटों समेत व्यवसाय से जुड़े लोगों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में दिसम्बर 2023 के बाद से 35 फीसदी इमिग्रेशन सेंटर बंद हो चुके हैं। भारतीयों को कनाडा भेजने में पंजाब सबसे आगे रहता है।

कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव और प्रवासियों को देश में आने से रोकने की जस्टिन ट्रू़डो सरकार की नीतियों ने भारतीयों के कनाडा जाने के सपने को धुंधला कर दिया है। एक साल पहले तक पंजाब में कनाडा जाने के लिए लोगों की होड़ मची रहती थी, लेकिन अब यह कनाडाई बुलबुला फूट गया है। ट्रूडो सरकार की नीतियों के चलते पंजाब में वीजा सलाहकारों और एजेंटों तक, इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोगों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी हैं। कनाडा जाने के लिए पंजाबियों को तैयारी कराने वाले कोचिंग इंस्टीट्यूट अब बर्बादी की तरफ हैं। इनमें से कई को बंद किया जा चुका है। इसकी वजह है कि अब किसी को भी कनाडा जाने की जल्दी नहीं है।

वीजा प्रोसेसिंग में 70 फीसदी की कमी

स्टडी अब्रॉड कंसल्टेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने द प्रिंट को बताया कि पिछले कुछ महीने में कोचिंग वॉल्यू में 80 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि वीजा प्रोसेसिंग सेवा में 60-70 प्रतिशत की कमी आई है। इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का अनुमान है कि कनाडा में भारतीयों को भेजने में सबसे आगे रहने वाले पंजाब में दिसम्बर 2023 के बाद से लगभग 35 प्रतिशत इमिग्रेशन सेंटर बंद हो चुके हैं।

ट्रूडो सरकार ने बदली नीति

24 जनवरी 2024 को कनाडा की सरकार ने विदेश से पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों के लिए वीजा कैप को घटाकर 3.6 लाख करके बड़ा धमाका किया। 2023 के मुकाबले यह 35 प्रतिशत की कमी थी। इसके साथ ही प्रत्येक प्रांतों के लिए सीमा भी तय की। इसके साथ ही ओट्टावा ने यह भी कहा कि डिग्री पूरी करने के बाद यह वर्क परमिट के लिए पात्र नहीं होंगे।
छात्रों पर वीजा कैप से अभी भारतीय उबर भी नहीं पाए थे कि पिछले सप्ताह ही ट्रूडो सरकार ने एक और बम फोड़ा, जिसमें घोषणा की वह कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम के अपने विस्तार को वापस ले रही है। इसकी मतलब है कि हजारों लोग जो इन उद्योगों में काम कर रहे हैं, उनका वर्क परमिट रद्द हो जाएगा। इन सभी के ऊपर डिपोर्टेशन की तलवार लटक रही है। यह हालात बताते हैं कि कनाडा का बुलबुला फूट गया है।

कनाडा जाने की लागत बढ़ी

कनाडा में भारतीयों को पहुंचाने में मदद करने वाली इमिग्रेशन इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल की शुरुआत में नीतियों में संसोधन के बाद से कनाडा जाने की लागत 22-23 लाख रुपये से बढ़कर 37 लाख रुपये हो गई है। इसके चलते कनाडा जाने वाले उत्साह में भारी कमी आई है। दूसरी ओर अवैध रूप से देशों में प्रवेश करने के लिए अपनाया जाने वाला डंकी रूट तेजी से फल-फूल रहा है। दिसम्बर 2023 से 5000 से अधिक भारतीय अवैध रूप से कनाडा की सीमा से अमेरिका में प्रवेश कर चुके हैं। यह मेक्सिको सीमा से अमेरिका में प्रवेश करने वालों से भी ज्यादा है।